कर्तव्य पथ पर बढ़ चल-अशोक कुमार

कर्तव्य पथ पर बढ़ चल आएगी मुश्किलें बहुत, राह चलना नहीं आसान। कहीं खाई है तो कहीं पथरीली राहें, कर्तव्य पथ पर बढ चल।। ‌ कभी बर्फीले तूफानों में, तो…

महावीर-अवनीश कुमार

महावीर निरन्तर प्रभेदक बन जो पर्वतों को काटा करते रहते हैं सागर की धारा को जो मोड़ सके ऐसा बल भर कर चलते रहते हैं लड़ जाते है जो बिजलियों…

युवा सन्यासी-अपराजिता कुमारी

युवा सन्यासी नवयुग, नवभारत की नींव रखने समग्र विश्व में भारत के धर्म, दर्शन, अध्यात्म की खुशबू फैलाने विश्व में भारत को विश्व गुरु बनाने कोलकाता में 12 जनवरी 1863…

चित्र चिंतन-आँचल शरण

चित्र चिंतन ए स्वप्न परी क्या सोच रही है यूँ काली अंधेरी रातों में?  क्या लुप्त हो गया जो ढुूंढ रही हो इस तारों से घिरी नीली अम्बर की अंधियारों…

विवेकानंद-सुधीर कुमार 

विवेकानंद  हे युग पुरुष, हे युग प्रवर्तक,  तुमको बारम्बार प्रणाम।  तुमने भारतीय संस्कृति को,  दिया था एक नया आयाम।  रुढ़ि और बंधनों से तुमने,  देश को मुक्त कराया।  भटके हुए…

चेतना वाणी का शुभ वरदान है हिंदी-शालिनी कुमारी

चेतना वाणी का शुभ वरदान है हिंदी हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।  हिंदी हमारे देश की मातृभाषा की पहचान…