कारागृह की वेदना करुण” क्रंदन से “कारागृह” कांप उठा वह कक्ष-निरीह, “काल” ने कैसा खेल रचा कोठरी में था हाहाकार मचा। मौन “कोठरी” सब…
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वर्षा रानी-ब्यूटी कुमारी
वर्षा रानी कभी फुहारा बन बरसती धरती को सरस बनाती चारो और हरियाली छाई। कभी मोटे बूंदो वाली बहुत हुआ अब कीचड़ पानी अब न करो मनमानी। बादल की गरज…
कोरोना काल में छात्र की अभिलाषा-डॉ. अजय कुमार “मीत”
कोरोना काल में छात्र की अभिलाषा बजेगी टन-टन स्कूल की घंटी पाठशाला का सत्र चलेगा शिक्षक फिर पढ़ाएंगे ऐसे दिन कब आएंगे? बांए मुड़, दांए मुड़ पंक्ति सीधी करो सावधान,…
पैबन्द लगी कविता-गिरिधर कुमार
हजार पैबन्द लगी चिथड़े चिथड़े से बुनी बनी टुकड़ों में बुदबुदाती कविता… रास्ते के उदास मील के पत्थर की तरह अगले शहर की दूरी भर बतलाती भावशून्य हो गयी…
आज की कविता-गिरिधर कुमार
आज की कविता संकोच कुछ नहीं है अब कहने में की हारने लगी है कविता कि मेरी कविता अब म्लान रूग्ण और बेजान हो गयी है। झूठ के उत्साह से…
जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई-मंजू रावत
जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई, स्वतंत्र रूप से उड़ने वाले, चारों ओर घूमने वाले, घरों में कैद होकर रह गए, जिंदगी अब ऑनलाइन…
जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई-मंजू रावत
जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई, स्वतंत्र रूप से उड़ने वाले, चारों ओर घूमने वाले, घरों में कैद होकर रह गए, जिंदगी अब ऑनलाइन…
कब तक कब तक-लवली कुमारी
कब तक कब तक कोरोना…
कोरोना-स्मृति कुमारी
कोरोना कोरोना ने कहर बरपाया है, चारो ओर अंधेरा छाया है। गॉंव मुहल्ला देश विदेश इसने जाल बिछाया है।। कोरोना ने कहर बरपाया है चारो तरफ अंधेरा छाया है। कैसी…
रौनकें वापस लौटा दो-रूचिका
रौनकें वापस लौटा दो स्कूल की दीवारें और खेल की मैदानें हर दम हर पल ये पूछ रही है। कब गूँजेगी कहकहे, कब लौटेगी रौनकें हरदम हर पल ये पूछ…