हमारी कविता-गिरिधर कुमार

हमारी कविता मुझे पता नहीं कैसी है हमारी कविता सुंदर, असुंदर या और कुछ बच्चों की किलकारियाँ शरारतें स्लेट पर खींची आड़ी तिरछी रेखाएँ  उनमें झाँकती भविष्य की आशाएँ  पतंग…

शिक्षक-गिरिधर कुमार

शिक्षक वह प्रशान्त दिखता है शाश्वत रूप यही है उसका शुरू से सदियों से वह पहला स्नेहिल स्पंदन था जो फूटा था पाठशाला के पहले दिन उसके ही हाथों से…