दहेज-अशोक कुमार

दहेज बेटा बेटियां बराबर के अधिकारी, उन्हें बनाएं जरुर संस्कारी। शिक्षित बनाएं और उपकारी, दोनों का है बराबर की हिस्सेदारी।। बेटा बेटी वस्तु नहीं कि हम करें खरीददारी, दहेज लेना…

पंछी-अशोक कुमार

पंछी हम पंछी स्वतंत्र रूप में, बंद पिंजरे में न रह पाएंगे। कभी चहकना कभी फुदकना, गुलामी की दास्तां स्वीकार नहीं।। खुले में रहना स्वच्छ वातावरण में, दाना चुगने दूर…

सर्दी आई-अशोक कुमार

सर्दी आई सर्दी आई सर्दी आई, ठंडी ठंडी हवा बहती पुरवाई। कप कपाती ठंडी हवाएँ, सूरज की नई किरण है लाई।। बूढ़े, बच्चे घरों में दुबके, सूनी पड़ी अंगनाई। गरम…

बालदिवस-अशोक कुमार

बालदिवस नेहरू के जन्म दिवस को, बाल दिवस के रूप में मनाएँ। चाचा को बच्चों से था प्यार, इनके जन्म दिवस का करे इजहार।। बच्चों को अधिकार के लिए, चाचा…

आओ मिलकर दीप जलाएँ-अशोक कुमार

आओ मिलकर दीप जलाएं आओ मिलकर दीप जलाएं, इस दीपावली को खास बनाए। घर घर घी के दिए जलाएं, स्वच्छ एवं सुंदर वातावरण बनाएं।। अंधियारे को दूर भगाएं, अपने घरों…

समर्पण-अशोक कुमार

समर्पण चाह नहीं कष्ट समर्पित, यही अर्पण हमारा। मैं निज काम आऊँ, दीन दुखियों एवं बेसहारा।। अबला को भी सम्मान समर्पित, पुत्र पुत्री में भेद न जाने। जग में समानता…