करुणा की मूर्ती, लोकतंत्र का पर्व-अशोक कुमार

करुणा की मूर्ति

करुणा की सागर है तू,
ममता का गागर है तू।
है जगत जननी है तू,
सुख दुःख का संताप है तू।।
तुम्ही हो ज्ञान कि ज्योति,
प्रलय प्रताप तुम्ही हो।
तुम्ही हो लक्ष्मी सरस्वती,
तुम्ही काली दुर्गा हो।।
तेरे चरणों में बहती,
ममता की निर्मल धारा।
पुण्य प्रताप से तेरी,
जग को मिलती है काया।।
जो ममता को न समझे,
विनाश है उसको प्यारी।
अपने ममता जैसे ही,
दूसरों की ममता है प्यारी।।
कुछ दिनों की है वह परी,
दूसरों के घर उसे न्यारी।
वह जहाँ जाती उसे वह,
स्वर्ग से भी बढ़कर है प्यारा।।

लोक तंत्र का पर्व

लोक तंत्र का पर्व प्रतेक पाँच साल में आए,
चलो हम सब खुशियाँ मनाएँ।
अपने बहुमूल्य वोटो को जरूर डाले,
लोकतंत्र को मजबूत बनाएँ।।
लोक सभा, विधान सभा चाहे हो पंचायत चुनाव,
अपनी किस्मत जरूर आजमाएँ।
सुयोग्य, कर्मठ, उम्मीदवार चुनें,
अपने अधिकार को कभी न भूलें।।
चुनावों में होगी सत प्रतिशत भागीदारी,
लोकतंत्र मजबूती में दें हिस्सेदारी।
इस पर्व में आएँगे बहुत से उम्मीदवार,
हमे रहना है होसियार।।
कोई मीठी वाणी एवं देगा प्रलोभन,
सच्चा साथी भेजने का करना प्रयोजन।
लोकतंत्र में अपना मत देने का है अधिकार,
इसको मत करना तुम बेकार।।
हर भारतीय को शामिल होने का जाने प्रकार,
जिसकी उम्र अट्ठारह हो वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का है अधिकार।
जिसकी उम्र अट्ठारह हो जाए,
बी एल ओ से संपर्क कर नाम जुड़वाएँ।।
आओ हम सब मिलकर लोक तंत्र को मजबूत बनाएँ,
अपने वोटों का प्रयोग कर स्वच्छ निर्मल लोक तंत्र बनाएँ।
एक वोट से होती है हार और जीत।
अपने मतो का प्रयोग जरूर करे प्लीज।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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