नवल किरण-अशोक कुमार

नवल किरण

सुबह हुई उजियार हुआ जग,
नवल किरण है आई।
खाट छोड़ सब आलस त्यागो,
नवीन पथ पर चलना है भाई।।
आलस्य छोड़ किसान चला खेतों पर,
धरा को सींचने की तैयारी।
अन्नदाता भूमि को सींचकर,
भारत को अन्नपूर्णा बनाने की तैयारी।।
आलस्य त्यागकर तुम भी जगो,
नित्य अग्रिम पथ पर बढ़ते चलो।
नवल किरण की बेला है आई,
बच्चों जीवन में नई खुशियाँ है लाइ।।
नित सुबह उठकर आलस्य त्यागो,
अपने अंदर करो ऊर्जा का संचार।
अग्रिम पथ पर चलने का करो तैयारी,
भाई यह जीवन है न्यारी।।
पशु-पक्षी भी आलस्य त्याग कर,
अपने कार्यों में त्वरित हो जाते हैं।
कभी चहकना कभी फुदकना ,
नवल किरण का आगमन का आभास दिलाते हैं।।
मानव तुम अपने जीवन में,
नवल किरण से लेना सीख।
आगमन लालिमा से प्रस्थान भी होता लालिमा से,
सुख दुःख के दोनों होते प्राचीर।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर (बिहार)

Leave a Reply