मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1)- एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1) भोर ने बुलाया जब,रवि दौड़ा आया तब, मिटा अंधकार सब,बुलाने में हित है। खाट छोड़ दिया तब,उजियारा हुआ जब, नयनों में ज्योत अब,सुबह की जीत है। पत्तियाँ चमकी…

घनाक्षरी”मेरी कामना” – एस.के.पूनम

जाग कर प्रातःकाल,निकलूँ अकेले राह, मेरे दोनों चक्षुओं में,भरे कई रंग हैं। मृदुल झंकार सुन,नव अनुराग चुन, मन पुलकित होता, जीने का ये ढ़ंग है। उस पथ को मैं चला,जहाँ…

मन की चाह -एस.के.पूनम

मुक्त रहूँ निशा के स्याह चादर से, बहते शीतल पवन के झोंकों में, भोर भए अंगडाई लूँ नूतन वेला में, प्रकृति की सौंदर्य समाहित हो मुझमें। बंद चक्षुओं को खोलता…

पार्थ- एस.के.पूनम

हे आचार्य तुम ही पार्थ हो” हे पार्थ!तेरा कर्मभूमि विद्यालय है, हे आचार्य!रणभूमि भी शिक्षालय है, लेखनी और किताबें तेरा अस्त्रशस्त्र है, तो फिर तुम्हें किस बात का भय है।…

काल-खण्ड – एस.के.पूनम

संसार में समय एक सा रहता नहीं है सदा, आज जहाँ उत्सव- काल है कल वहाँ शोकाकुल होगा, आज जहाँ सद्भावनाओं का कीर्ति स्तम्भ है, कल वहाँ अपयशों का बाजार…

राही-एस. के. पूनम

राही हे राही! जिस राह पर चल पड़े हैं क़दम, उस राह को कभी छोड़ना नहीं, राहें होगी हजारों कंटकों से भरी, पर अपने अधरों पर रखना मुस्कान। हे राही!…

भारत दर्शन-एस. के. पूनम

भारत दर्शन भारत देव भूमि है, अतुल्य धरा है, समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है, प्राचीन सभ्यताओं में बेसुमार है, यहां वेद रचनाओं की रचना स्मृति है। गंगा, यमुना, नर्मदा, ताप्ती,…