अनमोल व अदृश्य मित्र निराशा से मन भरा हुआ था आशा कहीं न दिखती थी सामने होते स्वादिष्ट व्यंजन पर न कोई जॅंचती थी। कारण था मुॅंह की बीमारी…
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