“तू” चल अकेली -डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

“तू”चल अकेली वज़ूद है”तू”इस सृष्टि की दुनियां की है अबूझ”पहेली” , समझेगा कौन तेरे मन को छोड़ दे सब”तू”चल अकेली । बंट गई है रिश्तों में कितने कब बन पाई…