अदृश्य मित्र-विजय सिंह नीलकण्ठ

अदृश्य मित्र अदृश्य मित्र भी कभी-कभी आ जाते हैं सबके काम ऐसी महानता उनमें होती छुपा के रखे अपना नाम । विपत्तियों में साथ निभाते सम्पत्तियाँ देख प्रसन्न हो जाते…