दोहावली-विनय कुमार ‘ओज’

दोहावली जीवों में तुम श्रेष्ठ हो, पाया तीक्ष्ण विवेक। मानवता कहती बनो, उत्तरदायी नेक।। विपदा में जब हो घिरा, हारा मन इंसान। संबल देता जो उसे, सच में वो भगवान।।…

सुबह की रोटी-विनय कुमार “ओज”

सुबह की रोटी आधुनिकता के चक्कर में भईया रोटी बासी भूल गये, सुबह का नाश्ता, मैगी-बिस्किट खाकर ख़ुद को कूल कहे। चीनी, जलेबी, गुड़, पेड़ा, घी संग बासी रोटी भाता…

शहर-विनय कुमार ओज

शहर शहरों की रौनक होती भीड़ है पर ये तो सहता रहता पीर है हरित, शांति को ये सदा तरसता पल-पल वाहनों से धुआँ बरसता जहाँ भी देखो शोर-शराबा है…

डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन-विनय कुमार ओज

  डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन गुरु दीप्तमान रहें गुणवान जाने जहान कृष्णन महान उत्तम विचार सदय व्यवहार न तनिक गुमान ईश्वर समान क्या हो बख़ान था सब निदान दे योगदान…