हे बहिना पिया लय केलौं वटसावित्री त्योहार हे, खायके अरबा फलाहार हे ना। हे बहिना——-२। पिया संग गेलौं हम बाज़ार किनलौं साड़ी ,चूड़ी लाल, हे बहिना संगे किनलौं सोना के…
Author: Anupama Priyadarshini
वट-सावित्री पर्व – रत्ना प्रिया
संस्कृति है यह भारत की, विवाह के आदर्श का | वट-सावित्री पर्व है, दांपत्य के उत्कर्ष का || अश्वपति की तप साधना, हुई अद्भुत वरदायी है, दैवी सविता का तेज…
मौसम बहार के – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
दूर रख शिकवे गिले, आपस में मिलें गले, झूमती हैं आनंद में, गांव की ये गलियाँ। चल रही पुरवाई, खिल गई अमराई, स्नेह भरे बागानों में खिलती हैं कलियाँ। बसंत…
माँ और मायका – नीतू रानी
माँ से मायका पिता से सम्मान, ये दोनों के नहीं रहने से अपमान हीं अपमान। माँ है तो मायके के लोग रखते ख्याल, माँ के सामने किसी की न ग़लती…
पुष्प अमलतास के – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
पत्तियां है हरी-हरी, वृक्ष लगे जैसे परी, पेड़ों में झूमते ये -पुष्प अमलतास के। खुब जब मिले प्यार, हंसता है परिवार, परिवेश खुशनुमा, होते आसपास के। नभ से फुहार गिरे…
परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद (विश्व परिवार दिवस पर) दुख में किनारा देता, जीने का सहारा होता, हरेक गम का साथी, होता परिवार है। अभाव, झंझाबातों में, उलझन की रातों में, संकटों…
मेरी तन्हाई – मनु रमण चेतना
रोजमर्रा की जिन्दगी में भागदौड़, परेशानी,थकावटें तनाव और बहुत सारी उलझनें इन उलझनों में सिमटकर रह जाती है जिंदगी पर जब कभी तन्हाई में बैठती हूं बहुत सुकून देता है…
कुंडलिया- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
माता की आराधना, करो सदा प्रणिपात। अंतर्मन के भाव में, भरो नहीं आघात।। भरो नहीं आघात, कर्म को सुंदर करना। मन की सुनो पुकार, पाप को वश में रखना। पढ़कर…
माँ को निहारता है- एस.के.पूनम
दुग्ध की प्रथम धार, माता का असीम प्यार, बाल क्षुधा तृप्त हुआ,माँ को निहारता है। आँचल पकड़ कर, धीरे-धीरे चल कर, गिर कर उठ कर,थोडा कड़ाहता है। यौवन की राह…
माँ – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
निज कर्म से इंसान, बनाता है पहचान, पिता तो पालक होते, जन्म देती माता है। बच्चों को देती संस्कार, सिखाती है व्यवहार, जननी के साथ होती, भाग्य की विधाता है।…