खुशियों का त्योहार दिवाली-मनु कुमारी

खुशियों का त्योहार दिवाली

कार्तिक महीने का यह त्योहार,
जिसका रहता हमें बहुत इंतजार।
गरीब, अमीर दोनों के मुख पर,
सजी हुई रहती खुशियाँ हजार l

आओ मिलकर दीप जलाएँ 
खुशियों का त्योहार मनाएँ।
रंग-बिरंगी रंगोली बनाकर,
घर का हर कोना चमकाएँ।

घर-आंगन और बाड़ी-झाडी,
आओ साफ करें फुलवारी।
रंग-रोगन से घर को रंगाएँ,
कांडिल और पताका बनाएँ।

नये-नये पकावान हैं बनते,
हम सभी नये वस्त्र पहनते।
गणेश जी और लक्ष्मी जी की,
सब मिलजुलकर पूजा करते।

बच्चे-बूढ़े और किशोर जन,
उक्का पाती खूब खेलते।
मुँह में बरी, हाथों में फुलझड़ी,
तरह-तरह के पटाखे फोड़ते।

लेकिन जरा सम्हल हम जाएँ,
बम-पटाखों से बचे-बचाएँ।
ये होता ध्वनि प्रदूषण का कारण,
हँसी के पटाखों से खुशियाँ मनाएँ।

सोशल डिस्टेंस का पालन करके,
हम सभी मुँह में मास्क पहनके।
कोरोना को यम घर पहुँचाके,
फिर सुरक्षित दिवाली मनाएँ।

मन से ईर्ष्या-द्वेष मिटाकर,
सबको अपने गले लगाकर, 
अपने अहंकार को जलाकर,
मन को स्वच्छ और पवित्र बनाएँ।

बाहर की तो हम देखे दिवाली,
कहीं खुशी के दिन हैं तो कहीं,
गम की है रातें काली-काली,
मानवता और प्रेम से आओ मनाएँ दिवाली।

अपने घट में भी दिया जलाएँ,
नाम का तेल सुरत की बाती, 
ब्रह्मा अग्नि की लौ जलाएँ
आओ अंत:पुर में दिवाली मनाएँ।

अंधकार पर प्रकाश का जीत है,
अधर्म पर धर्म का जीत है,
पाप पर पुण्य का जीत है,
यह खुशियों की दिवाली।

मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
पूर्णियाँ, बिहार 

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