दीपावली -रुचिका

दीपावली दीपों की जगमग अवलि, अँधेरों से देखो कैसे लड़ रही है अमावस के गहन तिमिर को दूरकर प्रकाश हर जगह बस रही है। एक दीया प्रेम और विश्वास का…

मेरी प्यारी गौरैया -अवधेश कुमार

मेरी प्यारी गौरैया : बाल कविता आँगन में जब हँसी गूँजती, नन्हें पाँव दौड़ जाते, गौरैया संग बच्चे मिलकर, गीत खुशी के गाते। कभी तिनका लाए, कभी दाना चुगे नटखट…

धनतरेस रामकिशोर पाठक

धनतेरस – मनहरण घनाक्षरी धनतेरस है आया, लेकर धन की माया, बाजार धूम मचाया, हाट गुलजार है। करना है दीप-दान, यम को देते सम्मान, पूजन विधि विधान, सुंदर त्यौहार है।…

धनतरेस -रामपाल प्रसाद सिंह

धनतेरस। रोला छंद । पावन कार्तिक मास,स्वर्ग से सुंदर भाता। त्रयोदशी का योग,कृष्ण पक्ष अति सुहाता। प्रकट हुए धनदेव, ग्रंथ आदिम कहते हैं। देते शुभ सम्मान,सदा साधक रहते हैं।। धनतेरस…

मिलकर दीप जलाएँ – बाल गीत

मिलकर दीप जलाएँ – बाल गीत आओ खुशी मनाएँ। मिलकर दीप जलाएँ।। घना अँधेरा छाया। धन्य अमावस आया।। कहते सभी दिवाली। इसकी कथा निराली।। बच्चे हर्षित गाएँ। मिलकर दीप जलाएँ।।०१।।…

पानी – गिरींद्र मोहन झा

पानी तू रंगहीन होती, फिर भी तेरे रंग अनेक,श्रेष्ठ विलायक बनकर तू कितनों को करती एक,आंखों का पानी, हो सबके आंखों में थोड़ा पानी,ऐसा कृत्य न कर कि होना पड़े…

तुमसे लगन लगी -जैनेंद्र प्रसाद रवि

तुमसे लगन लगी ग्वाल-बाल संग मिल, गोपियों के घर जाते, आदत थी छिपकर, माखन चुराने की। गांव की ग्वालन जातीं, यमुना के तीर जब, कदंब पे चढ़कर, वसन छिपाने की।…