ॠतुराज वसंत
शिशिर गये मधुमास आये
बहने लगी वासंती बयार,
मौसम अब तो हुआ सुहावना
चमन में खिले कलियाँ हजार।
विद्या की देवी सरस्वती माता
वसंत पंचमी को आती है,
अपने वीणा के मधुर तानों से
पंचम स्वर में गाती है।
कलकल करती नदियाँ बहती
झूमें पंछी कुहुकिनी गाये,
पीली सरसों से धरा सजी है
बहार है लेकर वसंत आये।
फूलों की सुगंधित कलियों पर
भ्रमरा उड़-उड़कर आते हैं,
पुष्प रस को पी-पीकर
प्रेम का गीत सुनाते है।
मधुर पवन बहे होले-होले
नव पल्लव शाखाओं पर डोले,
प्रकृति के अनुपम गीतों से
सबके मन में मिसरी घोले।
रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़ती
मधुमक्खियाँ भी शहद सँजोते,
प्रकृति के रमणीक दृश्य देख
अन्नदाता भी आलस खोते।
मधुमास की शोभा निराली
सबके हृदय खिल-खिल जाये,
कहे कलमकार ‘नरेश निराला’
मधुॠतु जीवन में खुशियाँ लाये।
नरेश कुमार “निराला”
प्राथमिक विद्यालय केवला
अंचल-छातापुर सुपौल