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Tag: अमरनाथ त्रिवेदी

चाहत – अमरनाथ  त्रिवेदी

चाहत – अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniJanuary 15, 20230

जीवन मे प्रेम का आधार हो , इसमें न छल व्यापार हो । न कालिमा -सी बात हो , न, छुपा रुस्तम आगाज़ हो । चरण पड़े जहाँ- जहाँ ,…

फैसला- अमरनाथ  त्रिवेदी

फैसला- अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniJanuary 13, 20230

छुपे हुए व्योम के पीछे , क्या तुम तारे ढूँढ रहे हो ? या उजास के उजले चादर की , तुम सपने बुन रहे हो । क्या अन्तस् का यह…

प्रेम  संदेश – अमरनाथ  त्रिवेदी

प्रेम संदेश – अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniJanuary 2, 20230

प्रेम सदा अपनाओ जग में , प्रेम सदा अपनाओ रे । लेकर कुछ नही जाना वन्दे , प्रेम सदा बरसाओ रे । आना -जाना लगा यहाँ पर , कोई नहीं…

इंसानियत-अमरनाथ   त्रिवेदी

इंसानियत-अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniJanuary 1, 20230

वफ़ा की सर्वत्र खुशबू मिले , सरल ह्रदय – सरल मिले । न जहाँ कोई बेगानापन , जहाँ न हो उजड़ा चमन । सभी मिले – सभी खिले , हर…

आह्वान – अमरनाथ  त्रिवेदी

आह्वान – अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 31, 2022December 31, 20220

मुँह में राम दिल मे छुरी , लेकर न कभी जिया करो । ऐसा न कभी किया करो । । मानव मन की यह शान नहीं , यह दानवता की…

नववर्ष- अमरनाथ  त्रिवेदी

नववर्ष- अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 30, 20220

मानो पुराने वर्ष का , सूर्यास्त है अब हो रहा । नवोदित नववर्ष यह , सूर्योदय -सा अब भा रहा । विश्वास का सम्बल समाहित , जब ह्रदय में छा…

कर्म का रहस्य -अमरनाथ  त्रिवेदी

कर्म का रहस्य -अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 29, 20220

सम्बल तप -त्याग का , चला रहा संसार को । कर्मपथ निष्कंटक नही, बतला रहा निज सार को । है दिग्भ्रमित होता मनुज , बुद्धिबल छीजती है जहाँ । संदर्भ…

प्रकृति का तांडव-अमरनाथ  त्रिवेदी

प्रकृति का तांडव-अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 27, 20220

सांसारिक क्लेश अब, नस -नस में चुभने लगी है । सत्प्रयोजनों से नाता , ज्यों छूटने लगी है । हमीं ने किया है , ऐसा आयोजन । हमी से फैली…

कर्त्तव्य बोध -अमरनाथ  त्रिवेदी

कर्त्तव्य बोध -अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 26, 20220

पुरातन से ओजस्विता लिए , विचरण हम जब – जब करते हैं । सत्य -दृढ़ अनुशीलन पर , तब मार्ग प्रशस्त हम करते हैं । यह संधिकाल सुकर्म का है…

कर्म -वाणी-अमरनाथ  त्रिवेदी

कर्म -वाणी-अमरनाथ त्रिवेदी

Anupama PriyadarshiniDecember 25, 20220

जिस ओर हम पग धरें , सुकर्म सम्मत नीति से । फिर हार हो सकती नही , चाहे कोई भी छल रीति से । प्रयास से पूर्व समर में ,…

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