भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा

वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…