“आओ करें बदलाव”
मेरी माहवारी का पहला दिन,
मेरे स्कर्ट पर लगे वो खून के छींटे,
मानो मुझसे कह रही थी,
अब कुछ भी पहले सा रहा नहीं,
एहसास मुझसे वो करा रही थी,
मैं डरी, सहमी सी घबरा रही थी,
मां मुझे चुप करा रही थी,
चुप! पापा हैं घर में,
यह सुनकर मैं सिसके जा रही थी,
पर क्या यह उचित है ?
माहवारी कोई भार नहीं,
यह तो प्रकृति का है उपहार,
इसमें गंदे कपड़े ना करें इस्तेमाल,
हाईजीन का रखें ख़याल,
आओ छोड़े दकियानूसी सोच, खुलकर बातें करें नि:संकोच,
माहवारी में ना करें राख बालू का इस्तेमाल,
इससे फैलता संक्रमण, होता सेहत से खिलवाड़,
माहवारी कोई बोझ नहीं,
यह निशान है तुम्हारे होने का,
तुम इतना ना इस पर बवाल करो,
खुलकर जिक्र करो इसका,
ताकि कोई मासूम बेहाल ना हो,
कोशिश बस ये रहे,
कि दोहरा दर्द न झेले कोई,
पहला पीरियड्स का, दूसरा उसे छिपाने का,
तो आओ करें शुरुआत घर से ही इसे मिटाने में,
शायद यह नया बदलाव ला दे जमाने में,
बीनू मिश्रा
नवगछिया,भागलपुर