आओ हे हनुमान यहाँ – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या

Snehlata

स्नेहलता द्विवेदी

जग में है कौन सुनो, जो तुम से अनजान।
राम नाम सतनाम है, पूर्ण करै सब काम।।१।।

हनुमान बिन राम सुनो, जीवन कौन आधार।
हनुमान हिय माही बसें, जीवन भव निधि पार।२।।

बल अतुलित सतचित रहे, सुनहुँ बीर हनुमान।
हरि कृपा जिस पर रहे, मन सुमति रस धाम।।३।।

स्वर्णशैल सम देह प्रभु, चपल चतुर मति जाहि।
मति गति अति मनभावनी, विनती सुनहुँ कपिराई।।४।।

मैं मूरख मतिहीन सदा, रहत कुसंगति माहि,
तू प्रभु पारस पावना, कुछ तो करो उपाय।।५।।

अष्टसिद्धि है दास तेरो, तू रघुपति के दास।
रिद्धि सिद्धि न जानूँ सुनो, शरण तुम्हरो माथ।।६।।

जीवन के इस कष्ट का, प्रभुजी करो ऊपाय।
महाबली हनुमान सुनो, तुम बिन कुछ नहीं भाय।।७।।

नयनन लोर कपोल पर, आई रहे कपिराज।
सहज प्रेम बस नीर बहे, नहीं कछु कुछ है अधिकाई।।८।।

आओ हे हनुमान यहाँ, बिनती सुनो प्रभु आज।
मेरे संग संग तुम सुनो, ठीक करो सब काज।।९।।

स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या
मध्य विद्यालय शरीफगंज

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