तेरी माटी रोली – चंदन
भारत भूमि तुझे शत वंदन
सुषमाओं से है संपूरित
देव यहां पर हुए अवतरित
मुनियों के तप से है उन्नत
धरा तू है मानव का जन्नत
संस्कृति का होता संरक्षण
अजब पहनावा, गजब व्यंजन
पवन यहां करती अठखेली
हरी – भरी पुष्पों की बेली
लगता है तू कानन-नंदन
भारत भूमि तुझे शत वंदन
सब धर्मों का मेल यहां पर
मर्जी जैसी खेल यहां पर
वेद-ग्रंथ विज्ञान से मंडित
गीता जैसा ज्ञान अखंडित
पावन गंगा, यमुना कलकल
पदतल सागर करता छलछल
विविध रंग की तू रंगोली
सुन्दर भाषा, मीठी बोली
अद्भुत दिखता तेरा बंधन
भारत भूमि तुझे शत वंदन
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मुकेश कुमार मृदुल