छठ व्रत का विधान – रामकिशोर पाठक

 

चार दिनों का यह अनुष्ठान
आस्था का यह व्रत महान।
करते इसको विधि विधान
होता जिससे जन कल्याण।।

प्रत्यक्ष जगत में है भगवान
हरपल उर्जा जो करते प्रदान।
मिलता जिससे जीवन दान
है इसकी यही विशिष्ट पहचान।।

छठ की महिमा करते गान
देते जिसमें सबको है मान।
छोटे-बड़े सब एक समान
जाति वर्ग का नहीं स्थान।।
साफ सफाई का रखकर ध्यान
मन की भक्ति को देकर तान।
कर श्रद्धा विश्वास का निर्माण
तब व्रत करता पुण्य प्रदान।।

नहा-खा से शुरू होता अनुष्ठान
दूसरे दिन का है खरना विधान।
डूबते सूर्य को करें अर्घ्य प्रदान
उदित सूर्य को अर्घ्य नव विहान।।

जन- जन का होता जहॉं मिलान
शुद्धता भरी है सहज विधान।
काया माया का मिले वरदान
सुखी समृद्ध हो सारा जहान।।

सूर्य षष्ठी व्रत का यही विधान
भरती है चेहरे पर मुस्कान।
पाठक को करें क्षमा प्रदान
अगर भूल हुई कोई अनजान।। 

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश

पालीगंज, पटना

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