जय शिव
नीलकंठ, महादेव, भोलेनाथ, त्रिपुरारी
बीच मँझधार हम पड़े बाधा हरो हमारी,
तुम चन्द्रशेखर,शिव शंभु भोलेनाथ हो,
तेरे ही महिमा से संकट जाये सब टारी।
तुम आदि हो ,अनंत हो, मन कर्म संत हो,
तुम ही पतझड़ के मूल तुम ही बसंत हो,
तुम इस जगत में शून्य हो,ब्रहांड हो,
तुम्हारा नही कभी कोई भी बोले अंत हो।
तुम अजर,अमर ,तुम सार और प्रकाश हो,
तुम व्यक्त ,अव्यक्त तुम दुखियों के आस हो,
तुम सत्य हो ,तुम शिव हो ,तुम सुंदर हो,
तुम ही जीवन में मेरे सदा अटूट विश्वास हो।
गरल तुम ,सुधा तुम,तुम अटल सार हो,
तुम ही महाकाल, तुम ही ज्ञान का प्रसार हो,
तुम एक हो अनेक हो तुम शिवा तुम धात्री,
तुम लघुत्व,तुम जड़त्व,तुम सहस्त्र गंग धार हो।
हे गौरीशंकर,हे रुद्र रूप,भोले भंडारी कल्याण करो,
विपदा में नर नारी जगत का तुम सदा उद्धार करो।
रूचिका
रा.उ.म.वि. तेनुआ,गुठनी सिवान बिहार