नवयुग का निर्माण करो
सुख शांति हो विश्व में, ऐसे कार्य महान करो
उठो देश के नौनिहालों, नवयुग का निर्माण करो ।
जाति धर्म वर्ण भेद में, देश ये खंडित होवे ना
रूढ़िता और पाखंड से, कोई दंडित होवे ना
ज्ञान विज्ञान की शिक्षा से, भारत का उत्थान करो
उठो देश के नौनिहालों, नवयुग का निर्माण करो ।
कोई तुमको दिखे उदास, राजा हाे या हो रंक
आंखों में हो टूटी उम्मीदें, आशाओं के दे दो पंख
राहों में तुम फूल बिखेरो, जीवन का उन्वान करो
उठो देश के नौनिहालों, नवयुग का निर्माण करो ।
उनका रखना हाथ थामकर जो सदियों से हारे हैं
गले लगाओ उनको जो दुख दर्दों के मारे हैं
मानवता की सेवा करके, सबका तुम सम्मान करो
उठो देश के नौनिहालों, नवयुग का निर्माण करो ।
उठे नज़र जो बुरी देश पर उनकी आंखें नोच लो तुम
देश की खातिर बलिवेदी पर जान भी देंगे सोच लो तुम
तुम हो वीर सपूत धरा के, तन मन धन कुर्बान करो
उठो देश के नौनिहालों, नवयुग का निर्माण करो ।
-डॉ आरती कुमारी (शिक्षिका)
विद्यालय- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ब्रह्मपुरा
ज़िला – मुज़फ़्फ़रपुर
बिहार
कविता अच्छी बन पड़ी है