बधाई नया साल पर, देते सभी सुजान।
इससे विस्मृत हो रही, सदियों की बलिदान।।
दूर जिसे भगाएं थें, देकर हम बलिदान।
आज साल उसका नया, मना रहे दे मान।।
जो हमारी संस्कृति को, किया सदा नुकसान।
आज उसी के जश्न को, देते इतना मान।।
शीतलहर भी आज है, कहा हमें नादान।
खुशी तुम्हें किस बात का, पाकर हर व्यवधान।।
सहृदयता हमारा यही, मान लिया पहचान।
अपनी सभ्यता को कभी, करें नहीं नुकसान।।
छीन लिया अधिकार जो, वो बन गया महान।
अधिकारिक भी बन गया, नववर्ष का विधान।।
सभ्यता हमारी यही, भारत की पहचान।
सहेजें हर संस्कृति जो, दे आदर सम्मान।।
नववर्ष धूम-धाम से, मनता ले अरमान।
पाठक दुविधा में पड़ा, बैठा है नादान।।
शिक्षा को नववर्ष में, करिए दिशा प्रदान।
जिससे उन्नति जन करें, देश करें उत्थान।।
प्रण करिए नववर्ष में, शिक्षा को दें उड़ान।
वर्णित हो इतिहास में, हम शिक्षक का मान।।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश
पालीगंज, पटना, बिहार