मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

Devkant

लमही में जन्म लिए,

साहित्य की सेवा किए,

‘धनपत’ मूल नाम,

से इनको जानिए।

माता की आँखों के तारे,

पिताजी के थे दुलारे,

कर्म क्षेत्र लेखन ही,

निज कर्म मानिए।

रंगभूमि, कर्मभूमि,

प्रेमाश्रम, वरदान,

बूढ़ी काकी की कहानी,

मर्म भाव छानिए।

लेखक अमर हुए,

कर्म की डगर चले,

पद यश गुण धर्म,

शुभ बात ठानिए।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा,सुलतानगंज,
भागलपुर,बिहार

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