मनहरण घनाक्षरी – मनु रमण चेतना

Manu

मनहरण घनाक्षरी

प्रेमियों के होठों पर ( लता)

साम्राज्ञी सुरों की लता,
कहाँ गयीं नहीं पता,
प्रेमियों के होठों पर,
वो गुनगुनाती है ।

दुनिया है आज रोई,
दीदी चिर निद्रा सोई,
मरके भी नाम वह
जिंदा कर पाती है।

राष्ट्र वासी गर्व करे,
लता स्वर मन हरे,
गिनिज बुकों में वह,
नाम लिखवाती है ।

वतन उदास आज,
छोड़े सभी काम काज,
” मनु ” श्रद्धा भाव लिए,
प्रीत को निभाती है।

स्वरचित:-
मनु रमण चेतना
पूर्णियाँ , बिहार

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