दिवस स्वच्छता खूब मनाएँ
महावारी गुण बताएँ।
खुलकर बच्ची के मानस में
स्वच्छ रहें का पाठ पढाएँ।
दिवस प्रथम एक अहसास है
भाव यही नित दिखलाएँ।
अभिनव जीवन सदा जुड़ा यह
बात यही फिर दुहराएँ।
मिथकों की होती बारिश में
न कभी उसको घबराएँ।
‘सेहत’ हेतु सदा अच्छी है
उचित समय यही बताएँ।
जननी बनती नित्य बालिका
पुरुष के यह मन बिठाएँ।
धर्म मासिक की महत्ता में
हम नव, अभियान चलाएँ।
नित पीरियड की अवस्था में
एक नयी आस जगाएँ।
रखें ध्यान साफ-सफाई पर
रोगों को दूर भगाएँ।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
भागलपुर, बिहार
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