माहवारी की स्वच्छता
सफर हो रहा शुरु तुम्हारा,
पूर्णता की कहानी का।
सृजनहार ने चयन किया,
जब सृजन हेतु नारी का,
स्वतः ही जुङ गयी जटिलताए
तब से नवजीवन के निर्माण की ।
बचपन की दहलीज लाॅघ,
देखोगी तुम जब जीवन का
बारहवाँ बसंत ,
दस्तक देगा एक नया उपक्रम,
सामना करना तब तुम स्वच्छंद,
परिवर्तन का है ये महज एक चक्र।
मन के विकार जिस तरह बाहर
आकर कर देते हैं मन को निर्मल ,
शरीर के विकार के बाहर आने का भी
होता है यह एक प्रक्रम।
नहीं है ये किसी भय का कारण
करना है बस तुम्हें स्वच्छता के नियमों का पालन।
प्रत्येक अंध विश्वास का खण्डन करते हुए,
सूझ बुझ के साथ करना है बस इस परिवर्तन को स्वीकार,
प्रकृति ने दी है तुम्हें शक्ति अपरम्पार।
नाम- प्रियंका दुबे
मध्य विद्यालय फरदा,
जमालपुर, मुंगेर।
PRIYANKA DUBEY