(स्व रचित) राष्ट्रीय गीत
मुस्कुरा के जान वतन पर लूटाना है,
देश ही पर मर जाना है।
कितनी प्यारी धरती है ,
गंगा जहां बहती है ,
चिड़िया जिसको सोने की सारी दुनिया
कहती है,
इसको हीरे मोती से सजाना है ,
देश ही पर मर जाना है।
यह तिरंगा अपना है ,
बापूजी का सपना है,
इसको ऊंचा और भी उठाना है ,
देश ही पर मर जाना है,
मुस्कुरा के जान वतन पर लूटाना है।
देश ही पर मर जाना है।।
दुष्टों को हराना है ,
फूलों को लूटाना है ,
प्यार का दीया हर तरफ जलाना है ,
देश ही पर मर जाना है ,
मुस्कुरा के जान वतन पर लुटाना है ।
देश ही पर मर जाना है ।।
झांसी वाली रानी थी ,
कट्टर खून खानी थी ,
देश के लिए जिसने कुर्बान की जवानी थी ,
देश के खातिर लड़ी बन मर्दानी है,
वीरांगना की ऐसी ये कहानी है ,
मुस्कुरा के जान वतन पर लूटाना है,
देश ही पर मर जाना है , हो ऽऽऽ
देश ही पर मर जाना है ।।
— प्रीति देवी
(मिडिल स्कूल भेकास, कैमूर (भभुआ), बिहार)
Priti Devi