शुष्क ऋतु गया बीत,
सीख गया कुछ रीत,
वक्त की प्रतीक्षा कर,
मत करना प्रहार।
गगन में बदरी छाई,
बारिश की बूंदें लाई,
तप्त धरा भीग गई,
ग्रीष्म को मिलती हार।
किसान भी गए जाग,
प्रीत भरे गाए राग,
काँधे पर हल ढोए,
वो बनकर कहार।
झूम-झूम करे वादा,
नित्य हो जीवन सादा,
देख कर हरियाली,
गाते खुशी का मल्हार।
एस.के.पूनम
प्रा. वि. बेलदारी टोला
फुलवारीशरीफ, पटना
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