अंधेरा था घनघोर,
संतरी थे चहुँओर,
माया ने बिछाई जाल,
दानवों पर प्रहार।
वेदना को भूल कर,
पलना में झूल कर,
पिता संग छुप कर,
निकले पालनहार।
पूतना को मार कर,
बुराई को पार कर,
वृंदावन खुशहाल,
निहारें तारणहार।
ज्ञान-चक्षु खोल कर,
गीता सार बोल कर,
सत्य सत्ता जो दिलाएँ,
केशव के अवतार।
एस.के.पूनम
प्रा. वि. बेलदारी टोला,
फुलवारीशरीफ
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