वतन के रखवाले
देश के वीर जवानों, आप ही से हम हैं मेरे वतन के रखवाले
आप ही से सदा महफूज भी रहते, आप हैं वतन के रखवाले।
कहने को हैं आप सरहद के वीर,सपूत सैनिक और पहरेदार
सभी दुश्मन सदा कांपते, सदा करते रहते हैं उन्हें खबरदार।
कभी चीन तो कभी दुश्मन-ए-पाक करते रहते ध्यान भंग
देश के वीर सैनिक सुरते बंदोबस्त से कर देते ऐलाने जंग।
मां-बहनें और सुहागिने बलाईयां लेती रहती हैं सदा आपकी
सभी देश वासियों की दुआएं भी साथ रहती हैं सदा आपकी।
गोली भले की खा ली सीने में पर तिऱगा कभी नहीं झुकाया
देश धर्म पर कुर्बान हो गए मगर इस माटी का कर्ज चुकाया।
धोखे से दुश्मन ने दगाबाजियां दिखाईं पीठ पर वार किया
फिर भी दुश्मनों को दी पनाह और उन पर ऐतवार किया।
युद्ध विराम में दुश्मन के सैनिकों को सभी रियायतें मिलीं
दुश्मन देशों से कभी भी हमें उम्मीदें और भरोसे न मिली।
प्रकृति के प्रकोप जलजले,बाढ़ की विभिषिका और होते दंगे
आप सदा साथ रहते, देते शांति के पैगाम और रोकते हुड़दंगे।
हर पल, हरदम और तत्पर, रहते देश सेवा में सदा हाजिर
दशकों बीत गए नहीं रहे कभी सीमा से एक क्षण गैरहाजिर।
इस मुल्क के सरहद की आप सदा से चौकन्ने निगेहबान हैं
देशगान और आपकी आंखें इस मुल्क के लिए मेहरबान हैं।
देश के वीर जवानों, आप ही से हम हैं मेरे वतन के रखवाले
आप ही से सदा महफूज भी रहते,आप है वतन के रखवाले।
✍️सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक,
उ.मा.वि.रसलपुर,फतुहा, पटना (बिहार)
स्वरचित मौलिक रचना