वन हो रहे हैं कम-अपराजिता कुमारी

Aparajita kumari

Aparajita kumari

वन हो रहे हैं कम

धरती पर वन हो रहे हैं कम
कैसे बचेगा पृथ्वी पर जनजीवन
जनसंख्या भी बढ़ा रहे हैं हम
आधुनिकीकरण और
औद्योगिकीकरण से
वन भूमि पर हस्तक्षेप
बढ़ा रहे हैं हम

पेड़-पौधे जीव जंतु की दुर्लभ
प्रजातियां हो रही है कम
पेड़ पौधों की निरंतर संख्या
भी घटा रहें हैं हम
प्रकृति का संतुलन भी
बिगाड़ रहे हैं हम

नदियां, सरिताएं सूख रही,
ग्लेशियर पिघल रहे
कभी बेमौसम बारिश तो
कभी भीषण अकाल
भी झेल रहे हैं हम
कभी बाढ़, कभी सुखाड़ का
भी सामना कर रहे हैं हम

पशुओं की प्रजातियां, कीट
पतंगों,पक्षियों का घर
भी उजाड़ रहे हैं हम
जंगल उजाड़ कर
वनों को अंधाधुंध काट कर
ग्लोबल वार्मिंग भी
झेल रहे हैं हम

वन बादलों को बुलाते
वन ही तो बारिश भी करवाते
इनके दिए ऑक्सीजन से ही
तो बचता पृथ्वी पर जीवन
वन करते मिट्टी का भी संरक्षण
कैसे भूल रहे है यह सब हम

वन संपदा के महत्व को समझे
और सब को समझाएंगे
वन और जैव विविधता को
सब मिलकर बचाएंगे हम
वन भूमि पर अनाधिकार
प्रवेश होने से बचेंगे हम

वन,जल,मिट्टी दुर्लभ वनस्पति
वन्यजीव संरक्षण करेंगे हम
पशु पक्षी कीट पतंगों के
घरों को बचाएंगे हम

वनों को कटने,जलने
नष्ट होने से बचाएंगे हम
वनों को संरक्षित कर
धरती का संतुलन
बनाएंगे हम

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगरनाथ
प्रखंड हथुआ
जिला गोपालगंज

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