वो है माँ -वैशाली श्रीवास्तव

वैशाली श्रीवास्तव
  1. तु केवल लय -ताल नही,
  2. तू सप्त स्वर आवाज है
  3. तू  धरा, पवन,गगन नहीं
  4. तू सृष्टि का आगाज है
  5. न ग्राम नगर न सड़क गली
  6. तू  मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा , नयन नीर तुने पोछे,और  जग  को दिया, सहारा
  7. तू नारी बनकर आयी है : सरस्वती, दुगा, लक्ष्मी, तू कभी सुदृढ़ लौह सी,
  8. तो कभी मुलायम रेशमी है
  9. पर्वत की तु ऊचांई, और सागर की गहराई ,
  10. कभी तू बन जाती  है सीता,
  11. तो कभी लक्ष्मीबाई
  12. वैशाली श्रीवास्तव
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