संकोच

संकोच

संकुचित  अस्त-व्यस्त

हुआ है क्या मुझे

क्यों पर गई हूं मै पस्त

 

पहले तो कभी ऐसे ना झुंझलाया

यह रक्तस्राव कौन सी बीमारी लाया

किससे कहूं मन बहुत घबराया

 

संकोच ने मन में घर बनाया

उलझन का पर कोई जवाब न पाया

मन ने फिर सखी या माँ  सुझाया

 

सखी मेरी संरचना बदली

समझाओ वरना हो जाऊंगी पगली

क्या अब ना रह पाऊंगी संदली

 

तेरा हाल तो दीदी जाने

या फिर टीचर पहचाने

चल जल्दी बिन भरे हरजाने

अरे यह तो है मासिक स्राव

होगा हर महीने रक्त का बहाव

रखना सावधानी और कुछ बचाव

 

साफ सफाई खानपान पर हो ध्यान

पोषण और आयरन का विशेष संज्ञान

सब सामान्य है बस रखो यह ज्ञान

 

दूर हुआ मेरा संकोच

अब नहीं मैं रही कुछ सोच

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CHANCHALA TIWARI

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