सद्ज्ञान के प्रकाश को, चहुँदिश फैलाएँ हम ।
‘ समत्व योग उच्यते ’ की भावना विकसाएँ हम ॥
वह देश बनता महान , जहाँ सहज अनुशासन है,
योग से सुदृढ़ होना ,करना स्वयं पर शासन है ,
प्रथम सुख निरोगी काया योग का उपहार है ,
स्वच्छ मन के लिए स्वस्थ शरीर आधार है,
योग युक्त आचरण से सुदृढ़ व्यक्तित्व पाएँ हम ।
‘ समत्व योग उच्यते ’ की भावना विकसाएँ हम ॥
शरीर, मन व आत्मा की, शुद्धियों पर ध्यान दें,
निज आचरण में उतारें, तभी शाश्वत ज्ञान दें,
इंसान को गढ़ने का , योग सफल उपचार है,
मानव में मानवता हो, तभी सुखी संसार है,
सुखी संसार के लिए सच्चा इंसान बनाएँ हम ।
‘ समत्व योग उच्यते ’ की भावना विकसाएँ हम ॥
सृष्टि के संचालन को, त्रिदेव रत है ध्यान में,
योग प्रकाशित हो रहा, महावीर बुद्ध के ज्ञान में,
भारतीय संस्कृति में परम आनंद योग है,
आत्मिक ज्योति का ईशवरत्व से संयोग है,
सोऽहं को साधकर विराट में मिल जाएँ हम ।
‘ समत्व योग उच्यते ’ की भावना विकसाएँ हम ॥
रत्ना प्रिया
शिक्षिका (11 – 12)
उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी ,नालंदा