हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान
मिलता हिंदी से भारत को अद्वितीय मान सम्मान
जब कोई बोले हिंदी तो
लगता हो कोई मीठा पकवान
मिश्री सी घोले मधुर मधुर बोले
हमारी वाणी के लिए है मधुर वरदान
सभ्यता संस्कृति है इसकी अमर महान
करते हैं जिस पर हम रचनाकार अभिमान
स्वर व्यंजन की शक्ति
बनकर शब्द करती जहां है गुणगान
हिंदी ही है हम कवियों की पहचान
जिससे कराते हम पाठकों का रसपान
नाज़ है हमें करते हिंदी का सदा बखान
तनिक कहते नहीं कतराते “हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान “।
मधु कुमारी
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