हिंदी हैं पहचान हमारी – रवि कुमार

हिंदी है पहचान हमारी

हिंदी है पहचान हमारी, हिंदी हैं स्वाभिमान हमारी ।

हिंदी से है ‘हिन्द’ वतन ये, भाषाओं में है सबसे प्यारी ।।


याद करो वो दिन भी ज़ब गए शिकागो में विवेकानंद ।

शुरुआत उन्होंने भी की थी अपनी भाषण हिंदी के संग ।।

इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है अटल जी का वो शायराना ढंग ।

जिसकी हिंदी सुन आश्चर्यचकित था संयुक्त राष्ट्र का संघ ।।

मत भूलो तुम इसकी मधुरता को, ये है संगितों का उदगम ।

भाषाओं में निष्कपट है इसलिए संवाद को बनाती है सुगम ।। 

विभिन्न रस, चिन्हओं का श्रृंगार है करती , लिपियाँ इसकी देवनागरी कहलाती ।

शब्दों का एक अलग आभास है कराती, इसलिए हिंदी की मिठास पुरे विश्व को है भाती ।।

अब तो विदेशों में चलती इसकी भी कक्षाएं हैं ।

अहम भूमिका निभा रही, जगी लोगों में नई आशाएं हैं ।।

आओ मिलकर करें हम हिंदी भाषा की वंदन ।

जैसे बागों में महकता सुगन्धित लकड़ी हो चंदन ।।

हिंदी है पहचान हमारी, हिंदी हैं स्वाभिमान हमारी ।

हिंदी से है ‘हिन्द’ वतन ये, भाषाओं में है सबसे प्यारी ।।

रचयिता – श्री रवि कुमार जी 

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