काव्य :- हिन्दी है मेरी पहचान
करते हैं तन – मन से वंदन ,
जन – गण – मन की अभिलाषा का ।
अभिनंदन अपनी संस्कृति का,
आराधन अपनी भाषा का ।
यह अपनी देश के माथे की चंदन – रोली,
माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली ।
जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है, वो मजबूत धागा हिन्दी है ।
हिन्दुस्तान की गौरव गाथा हिन्दी है,
एकता की अनुपम परम्परा हिन्दी है।
जिसके बिना हिन्द थम जाए ,
ऐसी जीवन रेखा हिन्दी है ।
जिसने काल को जीत लिया है,
ऐसी कालजयी भाषा हिन्दी है ।
सरल शब्दों में अगर कहा जाए तो,
जीवन की परिभाषा हिन्दी है।
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