हे देश !
हे देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया,
माँ की ममता दी मिट्टी ने
सरहद ने पिता का प्यार दिया।
गंगा-यमुना सी बहनें दी
एक समृद्ध संसार दिया,
हे! देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया।
हिंदी सी मीठी भाषा दी
हमें सर्वोत्तम संस्कार दिया,
हे! देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया।
दिल तक पहुँचे वह मजहब दी
हम सबको नेक विचार दिया,
हे! देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया।
रंग -विरंगी गुलशन दी
खुशियों का त्योहार दिया,
हे! देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया।
हर सांस को नई आजादी दी
जन गण मन साकार किया,
हे! देश नमन मेरा तुझको
तुमने मुझपर उपकार किया।
स्वरचित…
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा🙏🙏
मुजफ्फरपुर, बिहार
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