शरद पूर्णिमा – गिरीन्द्र मोहन झा

शरद पूर्णिमा की रात सुहावन, है अति मनभावन, चंद्रमा की चांदनी, उजाला, शीतलता, है अति पावन, चंद्रदेव अमृत-वृष्टि हैं कर रहे, माँ लक्ष्मी का पूजन-अर्चन, कुलदेवी को प्रणाम निवेदित, पान-मखान…

जीवन सुंदर सरस – महामंगला छंद गीत, राम किशोर पाठक

जीवन सुंदर सरस, लगता हरपल खास। कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।। हारा मन कब सफल, मन के जीते जीत। जो लेता है समझ, बदले जग की रीत।। जीत…

वक्त पूछता है, गिरीन्द्र मोहन झा

वक्त पूछता है रात्रि में शयन से पूर्व वक्त पूछता है, आज तुमने क्या-क्या अर्थपूर्ण किया, सुबह होती है जब, वक्त पूछता है, प्रिय ! आज तुम्हें करना है क्या-क्या,…

बादल, आशीष अम्बर

  छोटी-छोटी बूँदें लाएँ, ये मतवाले बादल, श्वेत-स्लेटी, नीले-पीले, भूरे-काले बादल। कैसे-कैसे रूप बदलते, करते जादू-मंतर, हाथी जैसे कभी मचलते, गरजन करें निरंतर। इधर-उधर घोड़ों-से दौड़े, चाबुक वाले बादल, छोटी-छोटी…

मनहर कृष्ण- महामंगला छंद, राम किशोर पाठक

अंजन धारे सतत, कृष्ण कन्हाई नैन। देख लिया जो अगर, कैसे पाए चैन।। मूरत मनहर सुघर, मिले न कोई और। बिना गिराए पलक, देखूँ करके गौर।। श्याम सलोने सुघर, रखें…

संशय में कृष्ण- महामंगला छंद- राम किशोर पाठक

कृष्ण कन्हैया अगर, आते मिलने आज। होते विस्मित मगर, देख सभी के काज। माखन मिसरी सहज, उनको देता कौन। दुनिया दारी समझ, रहे न कोई मौन।। राधा जैसी सहज, मिलते…

शरद पूर्णिमा – महामंगला छंद, राम किशोर पाठक

देखो आया शुभद, आज कई संयोग। रजनी लगती नवल, चकवा का हठयोग।। पूनम सुंदर धवल, लेकर आयी रूप। आज पूर्णिमा शरद, अंबर लगे अनूप।। सोम देव से किरण, छिटक रही…

कोजगराक गीत नीतू रानी “निवेदिता”

लक्ष्मी पूजा एवं कोजगरा की हार्दिक शुभकामनाएँ आप सबों को। विषय-गीत शीर्षक-कोजगरा। तर्ज-सावन का महीना पवन करे शोर। कोजगराक गीत नीतू रानी “निवेदिता” आसिनक के महीना लक्ष्मी पूजा के शोर…

बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य।   मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…

वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…