अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
Category: बाल कविता
दादी का हलवा- रामकिशोर पाठक
अम्मा हलवा बना दो न। दादी को खिला दो न।। देखो शाम हो आई है। दादी को भूख सतायी है।। दादी को है दाँत नहीं। रोटी चबा पाई नहीं…
भावना बालमन की -अमरनाथ त्रिवेदी
दादी हैं खुशियों के खजाने , दूध , मलाई देती हैं। हम हैं उनके पोता, पोती, हमें गोदी में उठा लेती हैं। मम्मी का जब गुस्सा आता, दादी ही हमें …
देखो सानवी आई है – रामकिशोर पाठक
देखो सानवी आयी है। संग सहेलियाँ लायी है।। रंग दो माँ पाँव सभी का, लगे मनोहर भाव सभी का, प्रमा कहती हर्षायी है। देखो सानवी आयी है।। संग मुझे…
मम्मी दुनिया से निराली है – अमरनाथ त्रिवेदी
दुनिया चाहे कुछ भी कह ले मम्मी ही हमारी जान है। हर सुख-दुःख में साथ वह देती , मम्मी ही हमारी पहचान है।। मम्मी की बात मीठी होती, लगती हमें …
मेरे नाना- नीतू रानी
मेरे नाना प्यारे नाना आपके घर, मेरा आना-जाना। जब भी हम जाते, हमें बुलाते, अपने पास वो हमें बिठाते। कुछ -न -कुछ नित हमें सिखाते, दो लाईन हमसे पढ़वाते।। कभी…
निपुण बनें हम- अवनीश कुमार
हे प्रभु! हम बालक बड़े नादान, आप हमें दें यह वरदान। जल्दी निपुण, बन जायें हम, भारत के निपुण बालक कहलायें हम। पढ़ने- लिखने में हों बालक अच्छे, भाषा-गणित…
परिश्रम – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
अगर चाह हो कुछ करने की, करें नित्य श्रम का सम्मान। श्रम के आगे झुकते सारे, पूरे होते लक्ष्य महान।। एकलव्य के श्रम को देखें, वीर धनुर्धर हुआ महान। मल्लाहों…
गिलहरी – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
विद्यालय के प्रांगण में, है झूलती आम की डाली। उससे अक्सर आती जाती, कतिपय गिलहरियाॅं मतवाली।। बच्चों की किलकारी सुनकर, फूर्र-फूर्र फूर्रर हो जातीं। बच्चे उनकी ओर भी आते, चूँ…
बाजा की आवाज- रामकिशोर पाठक
बाजा की आवाज आ रही है माँ मन को लुभा रही है। बाहर मुझको जाने दो न कारण देखकर आने दो न कहकर प्रमा मुस्का रही है माँ…