आदिशक्ति मात भवानी- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

आदिशक्ति हे मात भवानी , आप हैं मातु जग कल्याणी। हम आए माँ द्वार तुम्हारे, दूर करो माँ कष्ट हमारे। ज्ञान का मात ज्योत जला दो, मन से सारे बैर…

चुनाव का असर – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मेरे दिलवाले सैयां पड़ती हूं तेरी पैंया, ला दो चांदी की पायल, पहनूंगी पांव में। दिला दो रेशम साड़ी, चार चक्का होंडा गाड़ी, खेलने को रंग बैठ, जाऊंगी मैं गांव…

सांवला सांवरिया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

होली दिन राधा रानी भरने को गई पानी, सहेली के संग ले के, सिर पे गगरिया। मोहन हो मतवाला अबीर गुलाल डाला, अंग-रंग भींगी मेरी, चोली व चुनरिया। धो के…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

होली कहती है सदा, रखिए नेह मिठास। यही पर्व का सार है, यही सुखद-आभास।। भेद-भाव को भूलकर, खेलें होली आज। समता के संदेश से, रखिए सुखी समाज।। द्वेष दंभ की…

होली -दीपा वर्मा

आया होली का त्योहार, फिर एक बार लाया रंगो की बौछार। नहीं अपने परायो की दरकार, आज है बस हमे रंगो से सरोकार। नाचेंगे-गाएंगे धूम मचाएंगे,पूए पकवान खाएंगे, खूब गुलाल…

होली – संजय

क्या ये ही होली है ? मितवन ये बतला तू जरा, कि , क्या ये ही होली है ? गेहूँ की बलियाँ झूम झूम, हवा के संग जब नाचे लगी,…