शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा तेरी जय हो-विवेक कुमार

Vivek

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शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा तेरी जय हो

आया नवरात्र, मईया के सज गया दरबार है,
हर्षित हो रहा मन है, खिल उठा संसार है,
सजा है दरबार चलो अब, मईया के द्वार है,
नव रूपों में होगा अब, मातारानी का दीदार है,
महिषासुर संहारनी अष्ट भुजाओं वाली,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का, होता जय जयकार है।

मां पार्वती के नव रूपों को, कहते नवदुर्गा है,
विघ्न विनाशनी मां तेरी, महिमा अपरम्पार है,
सृष्टि पर जब आए संकट, मां स्वयं आ जाती है,
दुष्टों का कर संहार, संकट दूर भागती है,
मां जगदम्बा को जग करता, हरदम हर पल याद है,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का, होता जय जयकार है।

मां के नव रूपों का वर्णन करना, बड़ा ही मुश्किल काम है,
हर रूपों में उनकी महिमा का, होता अपना ही मान है,
पहले स्वरूप शैल पुत्री से, जग को परमात्मा का कराती दीदार है,
शिला, भू, समीर, अग्नि, नभ में, मां करती स्वयं वास है,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का, होता जय जयकार है।

दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी से, जग में चेतना जगाती है,
तीसरे रूप चंद्रघंटा से, वाणी का साज सजाती है,
चौथे रूप कूष्मांडा से, नर नारी में गर्भ की शक्ति भरती है,
पंचम रूप स्कंदमाता में, पुत्रवती मां का दर्श दिखाती है,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का, होता जय जयकार है।

षष्ठ रूप कात्यायनी में भगवती कन्या की, बनी मात पिता है,
सप्तम रूप कालरात्रि से सब जड़ चेतन को, काल के गाल का देती संदेश है,
अष्टम रूप में मां जगदम्बा, महागौरी के गौर वर्ण दर्शाती है,
नौवें रूप से मां अपने साधक का ज्ञान से, परम सिद्धि का गुर सिखलाती है,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का, होता जय जयकार है।

जग कल्याणी मां, तू ही जग की पालनहार है,
हम सभी मानव जन पर, तेरा ही उपकार है,
विवेक करता विनती मां से, यही बारंबार है,
अमन चैन हो इस धरा पर, ऐसी दरस दिखा जा मां,
जीवनदायनी करुणा बरसाने वाली मां, सदा तेरी जय हो,
हर दिल में तेरा ही वास है, तेरी महिमा अपरम्पार है,
शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा का होता जय जयकार है।

✍️विवेक कुमार
(स्वरचित एवं मौलिक)

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