कोरोना से सावधान-कमलेश्वरी यादव

कोरोना से सावधान‌

कोरोना का दम ,मानव सफर से कम,
यह ‘काल वृत्ति’ आते हैं, मानव को
सताते हैं,
दुर्दिन घड़ियाँ गिन-गिनकर, अक्ल
ठिकाने लाते हैं।

शोषक बनकर, प्रकृति
का हम दोहन करते जाते
हैं,
भूल गए, हम भी हैं
प्रकृति के बालक,
जैसे जीव-जगत है।
कम आबादी और आवश्यकता,
हमसब भूल गए हैं,
मानव के कुसंस्कार से, प्रकृति मुँह मोड़ लिए हैं।
प्रकृति थोड़ा करवट बदला, कोरोना महामारी जन्म लिए हैं,
सजा देने ऐसे संकट, पृथ्वी पर आते रहते हैं।

प्रकृति से नाता जोड़ते हैं,
तब मानव आगे बढ़ते हैं,
खोज लेते हैं अपना रास्ता,
जैसे नदियाँ करते हैं।
लॉकडाउन, मास्क पहनना,
सेनिटाइजर,
रहन-सहन की नई व्यवस्था
अनेक विधि अपनाते हैं।

आभारी हैं हम सब, उनलोगों का,
जो कोरोना वैक्सीन की खोज
करते हैं।
तब-तक सावधानी अपनाकर,
हमलोग जी लेते हैं।।

कमलेश्वरी यादव (गोपाल)
प्रा. वि. बहरामपुर
महिषी सहरसा

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