पत्नी- जयकृष्ण पासवान

Jaykrishna

पत्नी एक एहसास है ,
पत्नी तो खुदा की इबादत है।
पत्नी घर का श्रृंगार है,
पत्नी तो दुर्गा और काली का अवतार है ।।
पत्नी एक विचार का मिलन है ।
“पत्नी तो प्रेम का बंधन है”
पत्नी मस्तक पर ललाट का चंदन है ।।
पत्नी बल और साहस का पुंज है ।
पत्नी रणभूमि में सुरक्षा कवच का कुंज है ।।
पत्नी एक संस्कार है,
पत्नी घर के चारो दिवारों का
चौकीदार है ।
“पत्नी एक ज्योति है”
पत्नी घर के ब्रह्मांड का सितारा है ।।
पत्नी घर परिवार का माली होता है ।
पत्नी बड़े बुजुर्गों का थाली
होता है ।।
पत्नी घर के चौखट का,
आहट होता है ।
पत्नी मन के मुरादों का,
चाहत होता है ।।
पत्नी एक जिंदगी के सफ़र
का नाम है ।
पत्नी जीवन का एक डगर भी है।।
पत्नी जीवन का संगीत है ।
पत्नी मन का मीत भी है ।।
पत्नी एक दरिया है,
पत्नी जीवन के समंदर का,
केवट भी है ।।
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छोटी रचना के साथ उपस्थित आपका साथी जयकृष्ण पासवान (स०शिक्षक)
उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट,बांका

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