यादें- जय कृष्णा पासवान

Jaykrishna

एक -एक सिसकियां- फिजाओं की खुशबू
बांट रहे थे।
पल-पल इन्तजार उस धड़ी का मानों आंखें मचल रहे थे।
किया ख़्वाब सजाया था,
खुदा मेरे हरेक लम्हों में
पुरा हो रहे थे।।
दिल में कई सपने लिए फूल
के गेसूओं में महक रहे थे।
चांदनी रात की चमक नजरों,
पर किया मनोरम दृश्य पर पानी चढ़ा रहे थे।।
उनका दीदार करना था- किस्मत को।
मानो अगले जन्म के कतारों
में खड़े थे।।
संवाद के सूखाड पर जब ,
अकाल पड़ा, तब सूर्य के तपिश से मुरझा गया।
तब यादों के समंदर में
किश्तियां बनकर सफ़र में खो गये ।।
उनकी वाणी में मिठास की झनकार दिखती है।
दिल के गहराइयों में,
एक ज्योत जगाता है।।


जय कृष्णा पासवान स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा बाराहाट बांका

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