बीत गई बात वो- एस.के.पूनम

S K punam

विद्या-:- मनहरण घनाक्षरी

जीवन का नवरंग,इंद्रधनुष-सा अंग,
धरा पर छाया कण,
मिल गया जात को।

मुस्कुराया अंशुमन,तप गया मेरा मन,
मुरझाये पुष्प धरा,
तपिश से मात जो।

सूरज लोहित मला,प्रकृति का यह कला,
नर-नारी जाग गया,
जीत गया रात वो।

ढल गया साँझ यहाँ,चाँदनी का आश कहाँ,
निशा का चादर ओढा,
बीत गई बात वो।

एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।

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