बाल मन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

बिस्किट मिठाई केक,
नौनिहालों को भाते हैं,
जहाँ हों खिलौने-टॉफी, आंखें उसी ओर हैं।

कोई भी मौसम रहे,
खुशियों की बाँह गहें,
गली से चौबारे गूंजे, बच्चों की ही शोर है।

छुपते छुपाते सभी,
नजरें बचाते कभी,
उनके माता-पिता का, चले नहीं जोर है।

जो भी उन्हें मन भाए,
कुछ भी पसंद आए,
चुपके से हाथ मारें,जैसे कोई चोर है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना

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