शिक्षक हैं हम-मनोज कुमार दुबे

शिक्षक हैं हम

शिक्षक हैं हम समाज को जगाते रहेंगे।
ये जिन्दगी का मंत्र है, सिखाते रहेंगे।।
शिक्षक हैं हम, समाज को जगाते रहेंगे।
अज्ञान के अंधेरों को मिटाते रहेंगे।।
हम ज्ञान के सूरज को, जगमगाये है।
अंकुर नई उम्मीद के हमने उगाये हैं।।
आँखों में उनके सपनो को सजाते रहेंगे।
शिक्षक हैं हम समाज को जगाते रहेंगे।। 
जब स्वार्थ, भ्रष्टाचार और अन्याय पला था।
तब बन चुनौती, चाणक्य सा शिक्षक ही लड़ा था।। 
जब देश ने अशिक्षा की  जंग लड़ी थी। 
कृष्णन’ के नाम शिक्षक दिवस की नींव पडी थी।। 
हम ही नई पीढी के नव निर्माण की सुबह है।
चिंतन और चरित्र के प्रवाह की किरण है
सोये हुए सपनों को हम जगा के रहेंगे।
शिक्षक हैं हम समाज को जगाते रहेंगे।।
हमने दिया इतिहास को गौरव का सिलसिला।
बनकर कभी रामदास ला दिया था जलजला।।
अब वर्तमान को ऊँचाईयों पर लाके रहेंगे।
भारत के भावी भाग्य को उठा कर रहेंगे।।
बुझने न देंगे ज्ञान का अविराम यह दिया। 
सम्मान बस बना रहे सब कुछ लुटा दिया।।
हम आँधियों के गर्व को हिला के रहेंगे।
शिक्षक हैं हम समाज को जगाते रहेंगे।।

मनोज कुमार दुबे
राजकीय मध्य विद्यालय बलडीहा
लकड़ी नबीगंज सिवान
©manojdubey

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